AN UNBIASED VIEW OF BHOOT KI KAHANI

An Unbiased View of bhoot ki kahani

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Bhoot ki kahani

बाइक रुकने के साथ वो मेर नजदीक आई और कहने लगी …. क्या आप मुझे थोड़ी दूर छोड़ दोगे ……? ऐसा कहकर उसने मुझसे लिफ्ट मांगी इसपर पहले तो मैं मना कर दिया लेकिन बाद मैं मैंने सोंचा एक अकेली औरत इतनी रात को अकेले बीएस का इंतज़ार कर रही है और दूर दूर तक किसी बस ,ऑटो या किसी दूसरी सवारी गाडी आने की की संभावना भी नहीं है , तो मैंने अपने मन मैं सोंचा की मुझे एक औरत की मदद करनी चाहिए ।

तीन कहानियाँ- जो बदल सकती हैं आपकी जिंदगी!

पमिनाबहन और उनकी बेटी अपना सामान बांधने लगीं। तभी उनके पड़ोसी शांताबहन आयीं और समझया कि घर छोड़ कर जाना कोई उपाय नहीं है, समस्या से भागने की बजाय उसका सामना करना चाहिए।

और सब लोग एक साथ ही बैठना याद रहे की कोई अकेले कहीं उठकर नहीं जाएगा।

लेकिन मेरे साथ कुछ गलत नहीं हुआ। और मेरे पापा ने वह बंगला ही बदल दिया । और हम लोग फ्लैट में रहने चले गए। हमारे बाद उस बंगले में हमारे जान पहचान वाले लोग रहने आ गए उनका छोटा बेटा हमारा बड़ा अच्छा मित्र था। एक बार वह हमसे मिलने हमारे घर आया। और हम से पूछने लगा कि एक बात मैं तुमसे पूछ रहा हूं।

जीवन में लक्ष्य का होना ज़रूरी क्यों है ?

बच्चों को डर के मारे कुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन फिरभी बे हिम्मत नहीं हारे और सब एकसाथ मिलकर बाहर निकलनेका रास्ता ढूंढने लगे। ढूंढते ढूंढते एक बच्चे को एक पुरानी किताब मिला, जो की एक जादुई किताब था। और उस किताब में एक जादुई मंत्र लिखा था जिसके उच्चारण करने से वह भुत घर से दूर भाग सकती थी।

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उसने देखा कि आदमी को ठंड लग रही है। वह आदमी कुछ बोल नहीं रहा था। उस आदमी ने कुछ नहीं कहा। अरे कुछ बताओ भी कौन हो?

उसने वह शॉल उठाया और सुबह घर लौट गया। वह इस हादसे को एक बुरे सपने की तरह भूल गया था। इतनी सुनसान जगह और इतनी गहरी रात। बुरा सपना ही होगा। रमेश तो इस वीराने में अपना मानसिक संतुलन खो दे। उसने सोचा कि उसे नींद आ रही थी और उसने नींद में सपना देखा। अगली रात वह फिर से ड्यूटी दे रहा था।

 सड़क एकदम खाली था और चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ था दूर दूर तक एक भी आदमी नज़र नहीं आ रहा था , सड़क के किनारे घाना जंगल और पहाड़ भी थे जो अपने आप मैं भी एक डर जैसा माहौल बना रहे थे लेकिन मुझे इन से क्या फर्क पड़ता मैं तो बस मस्ती मैं अपनी बाइक चला रहा था ।

मेरी माँ ने मुझे सुला दिया । और खुद घर के पीछे बैर का पेड़ लगा था । उसी के नीचे बैठकर रोने लगी ।

लेकिन जब से मेरी मां के साथ ऐसा हादसा हुआ था । तब से मां को थोड़ी भूलने की बीमारी और थोडी डरने की बीमारी हो गई ।और एक कमरे में बंद रहने लगी । क्योंकि बाहर अभी भी चाची की आत्मा दिखाई देती है । लोग बोलते हैं कि यह असत्य है। लेकिन जिसके ऊपर बीतती है । वही जानता है । bhoot ki kahaniya

बहुत जोर की बारिश हो रही थी, मैं अपने मित्र के यहां ताश के पत्ते खेलने के लिए आया हुआ था. गांव में अक्सर लोग […]

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